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भारतीय अर्थव्यवस्था फ्रांस को पछाड़ते हुए लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर होगी


Indian economy to overtake France to hit record high of nearly $3 trillion
Image Source - Google | Image by - indianexpress.com

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 भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। आने वाले समय में भारत फ्रांस को भी पछाड़ देगा। निर्यात में ही नहीं भारत कहीं आगे होगा। भारत की इस तेजी के पीछे एक दूरदर्शी सोच है। बीता हुआ वर्ष आर्थिक, कृषि, स्वास्थ्य एवं रक्षा सहित विभिन्न सुधारों और उपलब्धियों के लिए याद किया जाएगा। साथ ही अब वर्ष 2022 में कोरोना महामारी का पूरी सतर्कता से मुकाबला करते हुए देश के विकास की गति में तेजी लाई जाएगी। नि:संदेह नए वर्ष में बेहतर आर्थिक संभावनाएं दिख रही हैं।

2022 में जहां दुनिया की अर्थव्यवस्था पहली बार 100 ट्रिलियन डॉलर को पार करेगी, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ेगी और लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के लिए फ्रांसीसी अर्थव्यवस्था को पछाड़ देगी। रिजर्व बैंक के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 9.5 प्रतिशत से अधिक होगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की विकास दर जहां 9.5 फीसदी होगी, वहीं साल 2022-23 में यह करीब 8.5 फीसदी होगी।

गौरतलब है कि इस वर्ष उपभोक्ता मांग में तेजी, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में बड़ी रिकवरी, व्यावसायिक गतिविधियों में सुधार, विदेशी व्यापार और वित्तीय परिणामों में वृद्धि, जीएसटी संग्रह में उछाल, बिजली की खपत और माल ढुलाई में तेजी देखी जा रही है। जीएसटी का प्रति माह औसत संग्रह 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहने और 450 अरब डालर मूल्य का रिकार्ड निर्यात होने की संभावना है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 700 अरब डालर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच सकता है। घरेलू निवेशकों के दम पर भारत के शेयर बाजार में तेजी आएगी और सेंसेक्स 70 हजार की ऊंचाई को छूता नजर आ सकता है।

नए वर्ष में कृषि एवं ग्रामीण विकास का भी नया अध्याय दिखाई दे सकेगा। देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का वैसा ही मजबूत आधार बना रहेगा, जिस तरह वह वर्ष 2020 और 2021 में दिखाई दिया। इन दो वर्षो में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसमें लगातार विकास दर बढ़ी है। देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था थम गई थी, लेकिन कृषि का पहिया चलता रहा। किसानों ने बंपर उत्पादन किया, सरकार ने भी बंपर खरीदी की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक नए साल में कृषक उत्पादन संगठनों (एफपीओ) और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने का अभियान आगे बढ़ेगा।

कृषि क्षेत्र के लिए दिए गए भारी प्रोत्साहनों के कारण नए वर्ष में ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा और विनिर्माण में सुधार होगा। इस साल देश से करीब 50 अरब डालर मूल्य के कृषि एवं संबद्ध उत्पादों का रिकार्ड निर्यात हो सकता है। देश में इंटरनेट के तेजी से बढ़ते हुए उपयोगकर्ताओं, सस्ती दरों पर डाटा उपलब्ध होने, किफायती मोबाइल फोन, आनलाइन शापिंग, बिल पेमेंट और डिजिटलीकरण के नए अध्याय लिखे जाएंगे। वर्क फ्राम होम के माध्यम से देश के पेशेवर युवाओं के लिए आनलाइन वर्क में विदेशी मुद्रा की कमाई तेजी से बढ़ेगी।

इन विभिन्न आर्थिक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए कुछ आर्थिक चुनौतियों का भी सावधानी से सामना करना होगा। इस साल कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान तेजी से और व्यवस्थित ढंग से चलाना होगा। सरकार और जनता दोनों को प्रयास करना होगा कि किसी भी प्रकार के लाकडाउन की स्थिति निर्मित न हो। श्रम, भूमि, कारोबार, विदेशी निवेश, कौशल विकास, बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में घोषित किए गए सुधारों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ना होगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को पटरी पर लाकर रोजगार बढ़ाने के अधिकतम प्रयास करने होंगे। असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की कठिनाइयों का समाधान करना होगा।

डिजिटल अर्थव्यवस्था के लाभ लेने के लिए डिजिटलीकरण के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना होगा। देश में नया सहकारिता मंत्रलय बनाए जाने के बाद अब सहकारिता क्षेत्र के भाग्य खोलने के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा निर्धारित 35,000 से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों को तेजी से ‘वन स्टाप शाप’ के रूप में विकसित करना होगा। खाद्य तेलों के मूल्यों को नियंत्रित करने के लिए रणनीतिक प्रयास करने होंगे। पाम आयल के साथ खाद्य तेल के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 11,000 करोड़ रुपये निवेश वाले राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-पाम आयल (एनएमईओ-ओपी) अभियान को तेजी से क्रियान्वित करना होगा। पिछले दो वर्षों में कोरोना संक्रमण के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की बढ़ी हुई दर को कम करने के लिए रणनीतिक पहल करनी होगी।

महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार को हर संभव कोशिश करनी होगी। देश में यह महंगाई दर अप्रैल 2021 से दहाई अंक में बनी हुई है। जिस तरह थोक मुद्रास्फीति 12 साल के उच्च स्तर पर है, उसे घटाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक को नए रणनीतिक कदम उठाने होंगे। इस साल कच्चे तेल की कीमतें वैश्विक बाजार में 90-100 डालर प्रति बैरल पर पहुंचने की आशंका है। ऐसे में महंगाई की चुनौती और बढ़ते हुए दिखाई देगी।

हमें उम्मीद है कि इस साल देश की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के मुताबिक इन विभिन्न आर्थिक चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ती हुई नजर आएगी।


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