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पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को फ्लाईओवर पर बंधक बनाना देश के लिए खुली चुनौती

पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले को फ्लाईओवर पर बंधक बनाना देश के लिए खुली चुनौती
जो हुआ पंजाब में प्रधानमंत्री के कॉन्वॉय के संग जो हुआ है उसकी गंभीरता का अधिकांश लोगों को अनुमान तक नहीं लगा सका था एक फ्लाईओवर पर पूरे 20 मिनट तक विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री का पूरे काफिले को रोका गया| मिलिट्री स्ट्रेटजीज़ और गोरिल्ला वॉरफेयर की समझ रखने वाले भली-भाती प्रकार से जानते हैं कि किस प्रकार हाई वैल्यू टारगेट्स को रास्ते पर फंसाकर हिट किया जाता है और फ्लाईओवर पर फंसा एक बड़ा हाई लेवल कॉन्वॉय इस प्रकार की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उपयुक्त स्थान है क्योंकि लंबा कॉन्वॉय रास्ता बंद होने के कारण आगे जा नहीं सकता और तेजी से पीछे भी हटा नहीं जा सकता उससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि घटना उस राज्य है, पंजाब की है जहां खलिस्तानी आतंकवाद पहले भी निर्दोषों हजारों कि प्राण ले चुका है और जहां एक समय पर स्थिति इतनी बुरी थी कि राज्य के सिटिंग चीफ मिनिस्टर तक को खालिस्तानीयों द्वारा एलिमिनेट किया जा चुका है अब जरा पूरे घटनाक्रम कि परिस्थितियों के पूरा प्रक्रम नजर डालीये प्रधानमंत्री को अपने गंतव्य स्थल पर हेलीकॉप्टर से पंजाब आना था । अचानक मौसम खराब होने से बजह से यह निर्णय लिया गया कि सड़क मार्ग से ही जाना अच्छा होगा; राज्य की कांग्रेस सरकार को तत्काल सूचना दिया गया और यह जानकारी कि किस सड़क मार्ग का प्रयोग होगा यह जानकारी प्रदर्शनकारियों और स्थानीय नागरिकों तक पहुंच ही नहीं सकती थी, वह इंफॉर्मेशन केवल राज्य सरकार और उसके पुलिस प्रशासन तक ही सीमित रहता है। किंतु फिर भी चमत्कारिक रूप से प्रधानमंत्री के काफिले द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उसी फ्लाईओवर के आगे ठीक उसी समय पर प्रदर्शनकारियों का प्रकट हो जाना और प्रधानमंत्री के कॉन्वोय का रास्ता रोक दिया जाना और फिर प्रधानमंत्री के काफिले को एक फ्लाईओवर के ऊपर परोक्ष रूप से बंधक बनाकर रखना और राज्य की स्थानीय पुलिस द्वारा मार्ग पुनः चालू कराने में 20 मिनट का समय लगाया जाना कोई संयोग था, हो सकता है यह राज्य की पंजाब सरकार, सत्ताधारी दल, पुलिस प्रशासन, खालिस्तानीयों और विदेशी तागतों द्वारा रचा गया बड़ा षड्यंत्र था । जिससे देश का नायक सकुशल निकल लौट आया, राजधानी दिल्ली की सड़कों पे पहले भी दो बार हो चुकी है हिंसा कि नंगा - नाच, बंगाल और महाराष्ट्र की अराजकता और पिछले महीने अंजाम दी गई "धृष्टता" से राष्ट्र के शत्रुओं का साहस बढ़ा हुआ है, यदि अभी भी पूरी शक्ति सामर्थ और बर्बरता के संग इस उठते हुए जहरीले फन को नहीं कुचला गया तो अंजाम और कुछ हो सकता है।




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