लोगों ने आइडिया सुनकर मजाक उड़ाया, आज 20 से ज्यादा देशों में उनके करोड़ों ग्राहक हैं
जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना लगभग सभी का होता है, लेकिन कुछ ही लोग होते हैं जो लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हो पाते हैं। यह कहानी एक ऐसे शख्स की है जिसने अपने जीवन की शुरुआत एक बड़े लक्ष्य के साथ की, फिर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी बनाई, कड़ी मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति और कभी हार नहीं मानी। यह सच है कि कोई भी विचार छोटा या बड़ा नहीं होता। मायने यह रखता है कि आप उस विचार के प्रति कितने गंभीर हैं। यह कहानी दो भाइयों की है, जब उन्होंने अपने आइडिया से अपना बिजनेस शुरू किया तो लोगों ने उनका खूब मजाक उड़ाया। उन्हें किसी की परवाह नहीं थी और आज वह करोड़ों के मालिक हैं।
यह हरियाणा के दो भाइयों की कहानी है जिन्होंने लिबर्टी शू की आधारशिला रखी थी। पीडी गुप्ता और डीपी गुप्ता आज भारतीय उद्योग के जाने-माने चेहरों में से एक हैं। गुप्ता बंधुओं का बचपन हरियाणा के करनाल में एक मध्यमवर्गीय परिवार में बीता। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई, लेकिन सबसे बड़ी समस्या पूंजी को लेकर थी। अंत में कुछ पैसे का कर्ज लेकर उन्होंने वर्ष 1944 में करनाल के कमेटी चौक पर पल बूट हाउस के नाम से जूता बनाने की दुकान खोली।
जूते बनाने के इस विचार का पहले उनके परिवार वालों ने विरोध किया। लेकिन उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और दिन-रात अपने आइडिया पर काम करने लगे। लेकिन उस समय की सबसे बड़ी समस्या यह थी कि उनके कारीगरों को जूते हाथ से बनाने पड़ते थे।
एक छोटी सी दुकान से बनी बहुराष्ट्रीय कंपनी
करीब 10 साल तक पाल बूट हाउस चलाने के बाद गुप्ता बंधुओं ने वहां के स्थानीय बाजार में अच्छी पैठ बना ली। इसके बाद उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार करने के उद्देश्य से पाल बूट हाउस का नाम बदलकर लिबर्टी कर दिया। 1954 में उन्होंने लिबर्टी फुटवियर नाम से एक कंपनी शुरू की। उन्होंने बड़ी संख्या में उत्पादन के लिए कुछ मशीनें भी खरीदीं।
धीरे-धीरे उन्होंने आस-पास के शहरों में नए स्टोर खोलना शुरू कर दिया। उन्होंने सस्ती कीमतों पर गुणवत्ता और टिकाऊ सामान उपलब्ध कराकर भारतीय फुटवियर बाजार में क्रांति ला दी और लिबर्टी को एक नए स्तर पर ले गए। आपको यकीन नहीं होगा कि आज लिबर्टी आधुनिक मशीनों से रोजाना एक लाख जोड़ी से ज्यादा फुटवियर बनाती है।
यह भी पढ़ें: 4 दोस्त 40 गायें हुई एक साधारण शुरुआत आज है 90 करोड़ का टर्नओवर
अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप और खाड़ी देशों में अपना साम्राज्य फैलाया
भारत में एक प्रमुख ब्रांड बनने के बाद, गुप्ता बंधुओं ने इसे अन्य देशों में भी लॉन्च करने की योजना बनाई है। इसी कड़ी में उन्होंने अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी देशों को अपने उत्पादों का निर्यात करना शुरू किया। लिबर्टी आज दुनिया की अग्रणी कंपनियों में से एक है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
आज इस कंपनी में 4 हजार खुद के कर्मचारी और 15 हजार सहयोगी कर्मचारी काम करते हैं। कंपनी के पूरे भारत में 407 आउटलेट और 150 वितरक हैं। इसके अलावा करीब 6 हजार मल्टी ब्रांड स्टोर हैं। 10 देशों में एक्सक्लूसिव आउटलेट हैं और लिबर्टी 20 से अधिक देशों में माल का निर्यात करती है। लिबर्टी कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब 500 करोड़ रुपए है।
यह भी पढ़ें: गाजियाबाद की प्राची ने घर के कमरे से ही शुरू किया स्टार्टअप, अब सालाना 14 लाख रुपए है टर्नओवर
जब गुप्त बंधुओं ने पहली बार जूते बनाने का विचार रखा, तो उन्हें हर तरफ से विरोध का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, उनकी अपनी दुकान में काम करने वाले लोगों ने भी उनके जूते बनाने की परंपरा के खिलाफ बताया था। लेकिन अपने लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हुए गुप्त बंधुओं ने यह साबित कर दिया कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता।
आप अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते हैं और अगर पोस्ट अच्छी लगी हो तो शेयर जरूर करें।
कोई टिप्पणी नहीं
Please do not enter any spam link in the comment box.
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.